ज्ञान का गुरुकुल - 1
आज सुबह सुबह श्रीमती जी से बहस हो गई । अजी , बहस करने की हिम्मत कहां है हमारी । यों कहो कि कहा सुनी हो गई । कहा सुनी का मतलब तो आप सभी ज्ञानी लोग जानते ही हैं कि कहने वाला कौन होता है और सुनने वाला कौन होता है । सुप्रीम कोर्ट के सामने बाकी की हस्ती क्या होती है , आप सब भली भांति जानते हैं ।
चर्चा यह चल रही थी कि आज शुक्रवार को किस रंग का परिधान पहना जाये ? हमारे" यक्ष प्रश्न " धारावाहिक ने हमें नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था इसलिए हमको भी हमारे ज्ञान पर थोड़ा गर्व होने लगा था। शुक्रवार के हिसाब से मैंने एक ईस्टमैन कलर की टी शर्ट पहनी थी । उसे देखकर श्रीमती जी भड़क गई । कहने लगी कि आज तो आपको सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए थे । मैंने निवेदन किया कि देवी "शुक्र" ग्रह तो बड़ा चमकीला , भड़कीला होता है इसलिए आज के दिन वस्त्र भी भड़कीले ही पहनने चाहिए । पर वो कहां मानने वाली थी। आखिर "गूगल देवी" की शरण में जाना पड़ा । अपनी बात पिटती देखकर भी क्या मजाल जो अपने शब्द वापस लें ! कहने लगीं
"गूगल" में कोई अक्ल तो होती नहीं है । जो जैसा चाहे वैसा लिखकर डाल देता है । गूगल उसी को दिखाता है । यह जानकारी अधिकृत नहीं होती है " यह कहकर अपनी खींसे निपोरते हुए वो भोजन की तैयारी करने में मशगूल हो गई ।
मैं कुछ और कर पाता (और तो क्या करता, लॉकडाउन के कारण ऑफिस तो बंद है इसलिए "कहानी मंच" के लिए कोई रचना तैयार करता ) इससे पहले ही हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी का फोन आ गया।
"भाईसाहब , आजकल तो आप सब जगह छा रहे हैं । आप ही के गुणगान गाये जा रहे हैं " ।
मैं एकदम से घबरा गया । ऐसा मैंने क्या कर दिया कि मेरे चर्चे चारों ओर हो रहे हैं। इस देश में चर्चे हमेशा नकारात्मक खबरों के ही होते हैं । सकारात्मक खबरों के लिए यहां पर कोई स्थान नहीं है । यहां तक कि गली मौहल्ले और चौराहों पर निंदा रस में जो आनंद आता है वह श्रीमदभागवत , सत्यनारायण की कथा में भी नहीं आता है । हमने उनसे साफ साफ कहने को बोला ।
वो कहने लगे " वो मुच्छड़ थानेदार तो आपका परम शिष्य बन गया है । आपकी प्रशंसा करते नहीं थकता है । पुलिस के बड़े साहब भी एक बार आपके ज्ञान से लाभान्वित हो चुके हैं । वे भी आपकी खूब पब्लिसिटी कर रहे हैं । यक्ष प्रश्नों का धारावाहिक सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हो रहा है । आपने इसे "कहानी मंच" और फेसबुक पर डाल ही रखा है इसलिए अब लोग मेरे से बहुत सारे प्रश्र पूछते हैं और आपसे मिलवाने की सिफारिश करने को कहते हैं । मेरी एक बिन मांगी सलाह है कि आप एक कोचिंग इंस्टिट्यूट खोल लो और अपने ज्ञान से लोगों को लाभान्वित करो "
मैं सोच में पड़ गया कि हंसमुख लाल जी ने जिंदगी में पहली बार कोई अक्ल वाली सलाह दी है और वह भी एकदम मुफ्त । और उस पर तुर्रा यह कि सलाह बिन मांगी है । मेरा ज्ञान का कीड़ा कुलबुलाने लगा । मैंने सोचा कि मुफ्त में अगर कुछ मिल रहा है तो उसे ले लेना चाहिए । लोग तो मुफ्त के माल के लिए अपना बेशकीमती वोट तक किसी "ऐरे गैरे , नत्थू खैरे" को दे आते हैं । जिस कारण इस देश का चाहे कितना भी नुकसान क्यों ना हो जाये , लेकिन उनको क्या फर्क पड़ता है । उन्हें तो मुफ्त का बिजली पानी मिल जाता है । पर गाड़ी तो बिन मांगी सलाह पर अटकी । इस देश में मुफ्त का जहर मंजूर है पर मुफ्त की सलाह नहीं । मैंने हिचकिचाते हुए पूछा " भैया , हमें तो ये इंस्टीट्यूट वाला आइडिया , ज्ञान को बेचने जैसा लगता है "
मेरी बात पर वो जोर का ठहाका मारकर हंस पड़े । पांच मिनट तक हंसते रहे और हंसते हंसते बोले " भाईसाहब, इस देश में आज सबसे बिकाऊ है तो वह ज्ञान ही है । मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए संस्थानों में प्रवेश के लिए बड़े बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट खुले हुए हैं । प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए भी बड़े-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट खुले हुए हैं। आप क्या समझते हैं कि ये संस्थान केवल पैसा कमाने के लिए ही खोले गए हैं ? ये कोचिंग इंस्टीट्यूट जनता की सेवा भी तो कर रहे हैं । दूर दराज के प्रतिभाशाली बच्चे इन संस्थानों के कारण आई आई टी और ऐम्स जैसी संस्थाओं में प्रवेश ले पा रहे हैं अन्यथा उनका नंबर कहां आता ? इसलिए इन कोचिंग इंस्टीट्यूट में काम करने वालों को "एजुकेशन वारियर्स" कह कर पुकारिए और ये "ऐज्युकेशन वारियर्स" जहां से गुजरें , वहां पर ताली , थाली , ढोल , नगाड़े, शंख बजा कर सम्मानित करिये । अपने पारिश्रमिक के रूप में अगर थोड़ा सा पैसा ले लेते हैं , तो क्या कोई अपराध करते हैं ये"?
मुझे हंसमुख लाल जी की बातें कुछ हद तक सही लगीं । लेकिन मेरे शक का कीड़ा अभी तक मरा नहीं था । मैंने कहा " चिकित्सा का क्षेत्र पहले बहुत सेवा भाव का होता था। डॉक्टर, नर्स और समूचा स्टॉफ मरीज की सेवा में जान लगा दिया करता था । आज क्या हालत हो गई है ? बेचारे मरीजों के गुर्दे, जैसे और न जाने कौन कौन से अंग चोरी से निकाल लिए जाते हैं । दवाइयों में कमीशन , जांच के नाम पर कमीशन के कारण अनावश्यक जांच लिखना आदि गलत कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं । हद तो तब हो जाती है जब कोई मरीज अस्पताल आने से पहले ही मर जाता है और ये पैसे के लालची बंदर उस लाश को आई सी यू में डलवाकर पैसा ऐंठते रहते हैं । भगवान बचाए ऐसे धंधे से " ।
हंसमुख लाल जी कहां मानने वाले थे , कहने लगे " भाईसाहब, ईमानदारी तो हरेक धंधे में होनी ही चाहिए। आपको कौन कहता है कि आप बेइमानी से पैसा कमाओ ? लोभ लालच के कारण सब ऐसा करते हैं । आप तो ज्ञानी आदमी हैं। आप ऐसा काम मत करना "
उनकी बातें मुझे समझ में आने लगी ।
Seema Priyadarshini sahay
18-Jul-2022 04:20 PM
बहुत खूबसूरत
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Rahman
17-Jul-2022 09:03 PM
OSM👌👌
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Saba Rahman
17-Jul-2022 08:27 PM
Nice
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